Boilerlearn.com में आप का बहुत बहुत स्वागत है आज के इस पोस्ट में Wet scrubber के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाला हूं। wet scrubber क्या होता है, wet scrubber working कैसे करता है, wet scrubber working principle क्या है, wet scrubber advantages and disadvantages क्या है, wet scrubber diagram कैसा होता है, types of wet scrubber कितने है, wet scrubber, dry scrubber और bag filter में क्या फर्क है इन सभी के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा लास्ट तक पढ़े।
wet scrubber क्या होता है
wet scrubber एक मैकेनिकल डिवाइस होता है जिसका उपयोग steam boiler में I’d fan और चिमनी के बीच में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।
Steam boiler के भट्टी से जो फ्लू गैसेस निकलता है उसमें बहुत सारे हानिकारक गैसेस होते है जैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) कार्बन मोनोआक्साइड (CO) सल्फर ऑक्साइड (SO2) नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसे तमाम तरह के गैसेस होते है और राख के छोटे छोटे कड़ होते है।
जिन्हें हम बिना wet scrubber के चिमनी के रास्ते वायुमंडल में छोड़ देंगे तो वायु प्रदूषण होगा जो की हमारे पर्यावरण के लिए सही नहीं होगा इसलिए हम इसको सबसे पहले wet scrubber में भेजते हैं wet scrubber फ्लू गैसेस के अंदर से हानिकारक गैसों को और राख के छोटे-छोटे कड़ों को निकाल देता है उसके बाद से फ्लू गैसेस चिमनी के रास्ते वायुमंडल में चला जाता है जिससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
wet scrubber working कैसे करता है
wet scrubber में दो बड़े-बड़े चेंबर होते हैं किसी – किसी wet scrubber में तो एक ही होता है जिसके अंदर फ्लू गैसेस प्रवेश करता है और उसके अंदर से हानिकारक गैसेस और राख के कड़ निकल जाता है यह कैसे होता है इसे विस्तार से समझिए।
यहां पर मै आप को 2 चेंबर वाला wet scrubber का उदाहरण देके समझा रहा हूं जैसे 2 चेंबर वाला wet scrubber वर्क करता है वैसे ही एक चेंबर वाला भी काम करता है इसमें थोड़ा सा भी अंतर नहीं होता है किस बॉयलर में 1 चेंबर वाला wet scrubber रहेगा और किस बॉयलर में 2 चेंबर वाला वेट स्क्रबर रहेगा यह बॉयलर के आकार पर निर्भर करता है और wet scrubber का निर्माण करने वाली कंपनियों के डिजाइन के ऊपर निर्भर करता है।
वेट स्क्रबर में दो चैंबर होते है और उसके नीचे एक वेट स्क्रबर टैंक होता है जिसे तीन भागो में बाटा हुआ होता है और तीनों में एक बराबर पानी भरा होता है पानी का लेवल तीनो में बराबर रहे इसके लिए सभी टैंको में एक होल किया हुआ रहता है।
पहले वेट स्क्रबर चैंबर के नीचे वेट स्क्रबर टैंक का पहला हिस्सा आता है फिर दूसरे वेट स्क्रबर चैंबर के नीचे टैंक का दूसरा हिस्सा आता है फिर तीसरे टैंक में एक पंप लगा हुआ होता है इस पंप का पानी वेट स्क्रबर चैंबर में सबसे ऊपर लगे स्प्रेनोजल में जाता है।
स्प्रेनोजल दोनों चैंबरों में लगा हुआ होता है और वेट स्क्रबर टैंक में लगा पंप लगातार चलता रहता है स्प्रेनोजल से पानी का छिड़काव भी लगातार होता रहता है जिससे हानिकारक गैसेस और छोटे – छोटे राख के कड़ पानी में गुल – गुल कर नीचे आते रहते है और वेट स्क्रबर टैंक में जमा होते रहते है इसी तरह से वेट स्क्रबर काम करता है।
wet scrubber working principle क्या है
Wet scrubber का वर्किंग प्रिंसिपल समझना बहुत आसान है जैसे कि मैने आप को बताया है Wet scrubber I’d fan और चिमनी के बीच में लगा हुआ होता है आईडी फैन भट्टी से फ्लू गैसेस को खींचता है और जब उसे छोड़ता है तो वह गैसेस वेट स्क्रबर चैंबर में ऊपर के तरफ से प्रवेश करती है जिसे हम इनलेट कहते है।
यह पर मै आप लोगो को बताना चाहूंगा किसी wet scrubber में ऊपर से इनलेट होता है तो किसी wet scrubber में नीचे से इनलेट होता है।
जैसे ही यह गैसेस इनलेट से प्रवेश करती है इनलेट पर ही स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है जो इन गैसों के ऊपर पानी का छिड़काव करता है जिससे कि इनके अंदर का हानिकारक गैसेस और राख के कड़ वेट स्क्रबर टैंक में चले जाते है।
फिर यह गैसेस नीचे से दूसरे वेट स्क्रबर चैंबर में प्रवेश करती है उस चेंबर के आउटलेट पर एक स्प्रेनोजल लगा होता है जो फिर पानी का छिड़काव करता है जिससे कि जो भी बचा हुआ हानिकारक गैसेस और राख के कड़ होते है वे पूरी तरह से निकल जाते है और वेट स्क्रबर टैंक में चले जाते है इस तरह से फ्लू गैसेस पूरी तरह से साफ साफ हो जाती है और वह फिर चिमनी के रास्ते वायुमंडल में चली जाती है।
वेट स्क्रबर टैंक में पानी का लेवल हमेशा मेंटेन करके रखना होता है क्यों कि फ्लू गैसेस का टेंप्रेचर 150 डिग्री से लेकर 200 डिग्री तक होता है जिसके वजह से वेट स्क्रबर टैंक का पानी का टेंप्रेचर भी इसी के आस पास रहता है और धीरे धीरे पानी स्टीम बन कर उड़ता रहता है जिससे वेट स्क्रबर टैंक का पानी कम होता रहता है।
बहुत सारे लोगों का यहां पर सवाल होगा कि वेट स्क्रबर टैंक में नॉर्मल पानी भरते है या पानी के साथ कोई केमिकल भी मिलाते है या कोई अन्य प्रकार का लिक्विड होता है तो मैं आप को बताना चाहूंगा यह पूरी तरह से ईंधन पर निर्भर करता है कि बॉयलर में कौन सा ईंधन का उपयोग किया जा रहा है और उससे किस किस तरह की हानिकारक गैसेस निकलती है इसके बारे में हम आगे किसी और पोस्ट में चर्चा करेंगे आम तौर पर बायोमास फ्यूल से चलने वाले बॉयलर के wet scrubber टैंक में पानी का उपयोग किया जाता है।
फिर जब बॉयलर बंद हो जाता है तो बॉयलर के साथ में वेट स्क्रबर का भी सफाई होता है टैंक के पानी को ड्रेन करके etp में भेज दिया जाता है और फिर टैंक का सफाई होता है पूरी तरह से सफाई होने के बाद टैंक में फिर से साफ पानी भर देते है।
wet scrubber advantages and disadvantages क्या है
Advantages
- वेट स्क्रबर का साफ सफाई बहुत ही आसानी से हो जाता है।
- इसका मेंटनेंस भी बहुत आसानी से हो जाता है।
- इसके देख रेख में बहुत ही ज्यादा एक्सपर्ट बंदे की जरूरत नहीं होता है।
- इसका डिजाइन बहुत ही ज्यादा आसानी से समझ में आ जाता है।
- इसे लगातार लंबे टाइम तक चलाया जा सकता है।
- यह सभी तरह के हानिकारक गैसेस और राख के कड़ों को निकलने में सक्षम है।
Disadvantages
- वेट स्क्रबर टैंक बहुत ही जल्दी राख के कड़ से भर जाता है।
- वेट स्क्रबर टैंक में लगातार पानी का लेवल मेंटेट करते रहना होता है।
- वेट स्क्रबर का लाइफ बहुत लंबे टाइम तक चलने वाला नहीं होता है।
- वेट स्क्रबर में लगातार पानी का छिड़काव होते रहने से जल्दी जंग जाता है।
wet scrubber diagram कैसा होता है
types of wet scrubber कितने है
वेट स्क्रबर के मुख्य तीन प्रकार होते हैं।
- Spray tower wet scrubber
- Venturi wet scrubber
- Packed wet scrubber
स्प्रेटावर वेट स्क्रबर का इस्तेमाल ज्यादा बॉयलर में किया जाता है इसका डिजाइन सिंपल होता है और यह फ्लू गैसेस के अंदर से सभी तरह के हानिकारक गैसेस और राख के कड़ को निकालने में सक्षम होता है इस पूरे आर्टिकल में मैने Spray tower wet scrubber के ही बारे में बताया है।
वेंचुरी वेट स्क्रबर इस प्रकार के वेट स्क्रबर का उपयोग बॉयलर में कम किया जाता है इसको ऑपरेट करना जटिल होता है इसका डिजाइन बहुत तेज स्पीड से निकलने वाले छोटे छोटे कड़ों को पकड़ने के लिए किया जाता है।
यह wet scrubber भी स्प्रेटावर वेट स्क्रबर के तरह ही काम करता है इसमें भी 2 चेंबर होते है और उनमें स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है और चेंबर के नीचे 3 wet scrubber टैंक होते है और एक टैंक में पंप लगा हुआ होता है जब पंप चलता है तब स्प्रेनोजल से पानी का छिड़काव होता है और फ्लू गैसेस से हानिकारक गैसेस और राख के कड़ निकल कर टैंक में चले जाते है।
स्प्रेटावर wet scrubber से अलग इसमें यह है कि इस में वेंचुरी लगा होता है जो वैक्यूम को क्रिएट करता है तब जाकर यह बेड स्क्रबर काम करता है और दूसरा की यह wet scrubber high velocity पर काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
पैक्ड वेट स्क्रबर में एक पैक्ड टावर होता है बिल्कुल स्प्रेटावर के तरह इस पैक्ड टावर के बीच में पैक्ड मैटेरियल भरा होता है यह मैटेरियल प्लास्टिक का भी हो सकता है और सिरेमिक का भी हो सकता है मैटेरियल किस तरह का होगा यह इस बात पर निर्भर करेगा कि गैसेस किस तरह की है अगर गैसेस गर्म है तो सिरेमिक का पैक्ड मैटेरियल रहेगा और अगर गैसेस ठंडी है तो प्लास्टिक का भी हो सकता है।
इस मैटेरियल के ऊपर ही स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है जो पानी का छिड़काव करता है नीचे से फ्लू गैसेस Packed wet scrubber में प्रवेश करती है और पैक्ड मैटेरियल के संपर्क में जाती है तो ऊपर से पानी का छिड़काव होता है जिससे गैसेस के अंदर के हानिकर गैसेस और राख के कड़ या अन्य कड़ पानी में घुल जाते है और नीचे लगे टैंक में चले जाते है इस स्क्रबर के नीचे 2 टैंक होता है एक टैंक में कड़ जमा होता है और दूसरे टैंक में पंप लगा होता है जो चलता है तो पानी छिड़काव होता है।
wet scrubber vs dry scrubber और bag filter में क्या फर्क है
Wet scrubber, dry scrubber और bag filter तीनो ही एयर प्रदूषण को रोकने के लिए उपयोग होने वाले मैकेनिकल डिवाइस है सिर्फ इन तीनों के काम करने के तरीके अलग अलग है चलिए आप को बताता हूं।
Wet scrubber का उपयोग फ्लू गैसेस के अंदर से हानिकारक गैसेस और राख के कड़ को हटाने के लिए किया जाता है यह इस काम को करने के लिए पानी का उपयोग करता है यह पानी को फ्लू गैसेस के ऊपर छिड़कता है जिससे पानी में घुल कर हानिकारक गैसेस और राख के कड़ अलग हो जाते है और wet scrubber टैंक में चले जाते है और फ्लू गैसेस साफ हो जाती है यह wet scrubber फ्लू गैसेस के अंदर से गैसेस और राख के कड़ दोनों को हटाने में सक्षम है।
Dry scrubber का उपयोग भी फ्लू गैसेस के अंदर से हानिकारक गैसेस को हटाने के लिए किया जाता है यह इस काम को बिना पानी के करता है इसके अंदर चुना, पत्थर, सोडा, आदि भरा हुआ होता है जब इसके अंदर फ्लू गैसेस प्रवेश करती है तो यह मैटेरियल उसे सोख लेता है जिससे फ्लू गैसेस साफ हो जाती है और उसके अंदर से हानिकारक गैसेस हट जाता है यह पूरी तरह से गैसेस के अंदर से हानिकारक गैसेस निकालने में सक्षम है।
Bag filter का उपयोग फ्लू गैसेस के अंदर से कड़ों को निकालने के लिए किया जाता है इस काम को करने के लिए इस में बैग फिल्टर लगा हुआ होता है जिससे पास होने पर फ्लू गैसेस के अंदर से कड़ फिल्टर हो जाते है और स्टोरेज चेंबर में स्टोर हो जाते है यह गैसेस के अंदर से कड़ों को निकालने में सक्षम है।
Conclusion
इस पोस्ट में मैने आप सभी लोगों को wet scrubber के बारे में विस्तार से जानकारी दिया हूं उझे उम्मीद है यह जानकारी आप लोगो के लिए काफी उपयोगी साबित होगा अगर इस पोस्ट से जुड़ा आप का कोई भी सवाल और सुझाव हाे तो आप मुझ से कॉमेंट बॉक्स में पूछ सकते है बॉयलर से जुड़ी और भी जानकारी के लिए आप boilerlearn.com के और भी पोस्ट को पढ सकते है। आप का दिन शुभ हो।
wet scrubber किसे कहते है?
वेट स्क्रबर एक मैकेनिकल डिवाइस को कहते है जो वायु प्रदूषण को रोकने का काम करता है।
wet scrubber work कैसे करता है?
वेट स्क्रबर में स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है जिसके द्वारा पानी का छिड़काव होता है।
wet scrubber प्रदूषित गैसों को कैसे निकालता है?
वेट स्क्रबर में स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है जो फ्लू गैसेस के ऊपर पानी का छिड़काव करता है जिससे उसके अंदर के हानिकारक गैसेस और राख के कड़ पानी में घुलकर अलग हो जाते है।
Wet Scrubber एयर प्रदूषण कैसे रोकता है?
वेट स्क्रबर चेंबर में स्प्रेनोजल लगा हुआ होता है जो फ्लू गैसेस के ऊपर पानी का छिड़काव करता है जिससे फ्लू गैसेस के अंदर से हानिकारक गैसेस और राख के कड़ पानी में घुल जाते है और वह वायुमंडल में नहीं जाते वेट स्क्रबर टैंक में जाकर जमा हो जाते हैं।
wet scrubber efficiency कैसे बढ़ाया जा सकता जाता है?
वेट स्क्रबर एफिशियंसी नियमित साफ सफाई से और सही लिक्विड के इस्तेमाल से बढ़ाया जा सकता है।